Thursday 25 August 2016

सिंधु और साक्षी के रूप में बदलाव ने फिर दी है दस्तक..

दो साल पहले लोकसभा के चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में अपनी जनसभाओं में श्री नरेंद्र मोदी जी एक बात बार-बार देश के सामने रख रहे थे कि आप चलें या न चलें देश चल पड़ा है। आज रियो ओलम्पिक में पी.वी.सिंधु और साक्षी मलिक ने देश के लिए मैडल जीतकर खासकर युवाओं को ठीक ऐसा ही सन्देश दिया है कि देश खेलों की दुनिया में अब चल पड़ा है। इस देश को अब खेलों में मैडल से कम कुछ नहीं चाहिए। आप सोच रहे होंगे कि खेल और राजनीति का आपस में क्या कनेक्शन है ? मैं कहता हूँ कनेक्शन हैं । खेल हमारी सोच को बदल रहे है। हमारे अंदर जिद, जोश और जुनून को भर रहे है। हमारे अंदर वह जज्बा पैदा कर रहे है जिससे मैडल जीते जाते है। वह समय गया जब ओलम्पिक में हमारी सिर्फ उपस्थिति दर्ज होती थी। लेकिन आज हमारी आँखों में मैडल जीतने के सपने पलते है। मैडल की भूख अब हम युवाओं को सोने नहीं देती है। आपको याद होगा यहीं भूख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते लोकसभा चुनावों में देश के लोगों में पैदा कर दी थी, यह भूख थी बदलाव की, आगे बढ़ने की, राजनीति बदलने की, सत्ता बदलने की, व्यवस्था बदलने की।  जिसके कारण देश में आज छोटी से लेकर बड़ी चीज़ बदलाव की प्रक्रिया में आ गई है और कई चीज़ें तो अपने लक्ष्य तक पहुँच भी रही है।  


पहली बार देश में  ऐसा हुआ है जब किसी राजनैतिक दल में करोड़ों लोगों ने अपने विश्वास का निवेश कर उसे दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बना दिया। वह पार्टी आपकी भारतीय जनता पार्टी है जिसे लगातार मज़बूत करने के काम में हरियाणा में भारतीय जनता युवा मोर्चा लगा हुआ है। ऐसा नहीं है कि यह खालिश राजनीति ही है। देश में और हरियाणा प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नई बनी खेल नीति और युवाओं को खेलों में हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराने की नेक नीयत ने हमारे खिलाडियों को छोटे - बड़े सभी खेल आयोजनों में इतिहास रचने का अवसर प्रदान कराया है। यह सही है कि बीते रियो ओलम्पिक में हम उन खेलों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए जिनमे हमें पदक की पूरी उम्मीद और भरोसा था, कोई बात नहीं हम खेले पूरे दम-खम के साथ खेले, देश के लिए खेले। जब हमारा कोई भी काम देश के लिए होता है तो हमारा काम और हम वैसे ही बड़े हो जाते है। अच्छी बात यह है कि देश के युवा इस बात को समझने लगे है।  यह कितनी रोचक और दिलचस्प बात है कि आज खेल राजनीति को बदल रहे है और राजनीति खेलों को। खेलों को बदल रही राजनीति से तात्पर्य  उस तकनीक से है जो अब खेल और खिलाडियों के लिए आवश्यक को गई है खिलाडियों के दम-खम से है, उनकी मानसिक मज़बूती से है। सरकार खिलाडियों को ऐसी सभी तकनीक, सुविधा और व्यवस्था मुहैया कराने के लिए कृत संकल्प है। 

देश में यह भी पहली बार हुआ है जब किसी ओलम्पिक में हमारे खिलाडियों के उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न होने पर प्रधानमंत्री ने न सिर्फ चिंता जताई है बल्कि अपने स्तर पर उन वजहों को जानने  की भी कोशिश की है जिसके कारण ऐसा हुआ है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अगले महीने रियो में भारत के प्रदर्शन की रिव्यु और आगे की तैयारी के लिए बैठक का आयोजन होने जा रहा है। इस बैठक में खेल प्रशासन से जुड़े तमाम लोगों  के साथ खिलाडियों को भी बुलाया जा सकता है। जिसमे प्रधानमंत्री स्वयं खेल और खिलाड़ियों के लिए आवश्यक संसाधन और सुविधा को देखेंगे। 


यह आप सबको पता है कि भारत आज युवाओं का देश है। हम युवा हार मानने वाले नहीं है। जैसे प्रधानमंत्री हार नहीं मानते है। बात सही भी है यह देश अब करोड़ों युवाओं के भरोसे हर क्षेत्र में कमाल कर रहा है। यह बदलाव देश में हो रहे सकारात्मक बदलाव के कारण हो रहा है। युवाओं ने इस बात को समझ लिया है कि बिना बदले अब कोई भी चीज़ हासिल नहीं की जा सकती। इसलिए मेरा आप सभी युवाओं से कहना है कि ऐसे ही रहना है या आगे बढ़ना है ? पी.वी.सिंधु और साक्षी मलिक के बहाने ही खुद को बदलने, आगे बढ़ने और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ही चल पड़ो। फिर चाहे लक्ष्य खेल का हो या राजनीति का। 

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