Monday 10 October 2016

इस विजय दशमी पर लें आतंकवाद को खत्म करने का संकल्प।

आज विजयदशमी है। बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। बुराई को जड़ मूल से खत्म करने के संकल्प का दिन। बुराई कोई भी हो। कहीं भी हो। यह हमारी जिम्मेदारी है। बदलते और आगे बढ़ते देश के लिए अब ऐसा करना जरुरी हो गया है। देश के नेतृत्व की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और सेना के पराक्रम की बदौलत हाल ही में हमने जिस प्रकार पीओके में आतंकी ठिकानों पर सफल सर्जिकल स्ट्राइक की है उससे हमारे देश का हौंसला बढ़ा है। इस स्ट्राइक ने हमें हर बुराई को खत्म करने की एक शक्ति दी है, सीख दी है। यूं तो समाज में आज भी कई प्रकार की बुराइयां व्याप्त है, लेकिन बढ़ते आतंकवाद ने जिस प्रकार पूरी मानव जाति को अपनी गिरफ्त में ले रखा है उसे जड़ मूल से खत्म करने की बात और संकल्प को लेकर हम इस विजय दशमी पर्व को मनाएं तो इससे बढ़कर हमारे लिए आज और कोई बात नहीं हो सकती। 

इस आतंकवाद को खत्म करने की शुरुआत देश ने कर दी है। जिससे देश के फैंसला लेने की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है और इसका असर नीचे तक देखने को मिला है। जरुरत इस बात की है कि हम इस बुराई को खत्म करने के लिए केवल सरकार और सेना पर ही पूरी तरह निर्भर ना हो जाएं। इस काम में हमें अपनी प्रभावी भूमिका को भी सुनिश्चित करना होगा। हमें यह देखना होगा कि हमारे आस-पास जहां पर हम हैं वहां आतंक जैसी कोई कार्रवाई तो नहीं चल रही है या अस्तित्व में तो नहीं आ रही है। इस आतंक का कोई भी रूप हो सकता है। ऐसे में हमें जरा भी यह लगे कि यह मानव जाति और शांति व्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकता है तो इसकी सूचना तत्काल संबंधित एजेंसी और अधिकारियों को दें। इस काम में देश और समाज को एक होकर रहना होगा। 

आतंकवाद से कोई एक जाति, धर्म, समुदाय, वर्ग के लोग ही पीड़ित नहीं हैं। पूरी मानव जाति के लिए यह जिस प्रकार खतरा बनकर सामने आया है उसे देखते हुए हमें खुद को इसके मुकाबले मज़बूत करना होगा। सबसे पहले इसके लिए हमें मानसिक स्तर पर मज़बूती दिखानी होगी और अपने अंदर यह भरोसा पैदा करना होगा कि हां हम इससे लड़ ही नहीं सकते, बल्कि इसे खत्म भी कर सकते हैं। हाल ही में पीओके में आतंकियों के खिलाफ हुई सफल सर्जिकल स्ट्राइक इसका प्रमाण है। हम इसके लिए हमारी सेना का बार - बार हौंसला बढ़ाते हैं उसका अभिनंदन करते हैं। निश्चित रूप से हमारी सेना ने भी आतंकवाद को खत्म करने का बीड़ा उठा लिया है। हम सेना के साथ हैं। 

हमें यह संकल्प लेना होगा कि आज हम जिस सदी में और समय में जी रहे हैं उसमे आतंकवाद जैसी बुराई की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यह सदी विकास की सदी है। आगे बढ़ने की सदी है। समस्याओं का समाधान करने की सदी है। अमन-चैन की सदी है। भारत आतंकवाद को खत्म करने के संकल्प के साथ जिस प्रकार आगे आया है उससे वैश्विक स्तर पर उसे मज़बूती मिली है, नेतृत्व करने की क्षमता सामने आई है। वैश्विक बिरादरी को अब यह बात समझनी होगी कि आतंकवाद - आतंकवाद होता है। यह अच्छा या बुरा नहीं होता। जिस प्रकार एक देश आतंक और आतंकवादियों की पनाहगाह बना हुआ है जिसे लेकर उसे वैश्विक बिरादरी में अलग थलग करने की कार्रवाई ने तेजी पकड़ी है, उसे देखते हुए अब वैश्विक बिरादरी के देशों को इस सम्बन्ध में अपने दोहरे मापदंडों को छोड़ना होगा। उन्हें तिलांजलि देनी होगी। विजय दशमी पर्व विजय का पर्व है। इस दिन हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने और उसे खत्म करने का संकल्प कर आगे बढ़ें तो हम निश्चित रूप से इसमें सफलता प्राप्त कर लेंगे। ऐसे में वह दिन दूर नहीं होगा जब भारत आतंकवाद मुक्त देश बनने वाला वैश्विक मंच पर पहला देश होगा। 

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