Friday 7 October 2016

ऐसे खत्म कर सकते है गरीबी और बेरोज़गारी को ।



देश के युवा बेरोज़गारी से दो-चार हैं इसमें कोई शक नहीं है। बेरोज़गारी की यह समस्या आजकल में पैदा हुई नहीं है। कई दशकों से चली आ रही इस समस्या ने युवाओं को जिस कदर परेशान कर रखा है उससे उनके सामने रोज़गार का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। मौजूदा सरकार ने इस समस्या को दूर करने और युवाओं को हर  क्षेत्र में रोज़गार दिलाने की व्यापक रणनीति और योजनाओं पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। जिसका लाभ आने वाले दिनों में युवाओं को मिलेगा, यह तय है। सरकार ने इसके लिए मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्टेण्डअप इंडिया जैसी योजनाएं चलाई हैं और इसमें देशी-विदेशी निवेश की भी व्यवस्था की है, जिससे कि युवाओं को अधिक से अधिक नौकरी और रोज़गार दिया जा सके। युवा इन योजनाओं का महत्व और उपयोगिता समझते हुए जिस प्रकार काम करने के लिए आगे आ रहे हैं उससे देश को इन योजनाओं को अपने लक्ष्य की पूर्ती करने में मदद मिलेगी। योजनाएं सफल होंगी। सबका साथ - सबका विकास कार्यक्रम आगे बढ़ेगा। कहने का मतलब यह है कि ऐसा कर हम देश में गरीबी और बेरोज़गारी को एक साथ खत्म कर सकते है।

इससे पहले हमारे युवाओं को नौकरी और रोज़गार के अंतर को समझना होगा। युवाओं को यह तय करना होगा कि उन्हें नौकरी चाहिए या रोज़गार ? इसके लिए उन्हें अपनी योग्यता का प्रदर्शन करना होगा। सरकार दोनों के लिए तैयार है, लेकिन यहाँ एक बात बहुत स्पष्ट कहना चाहता हूँ कि नौकरी जहाँ एक युवा को फायदा पहुँचाएगी वहीँ, कोई भी युवा अपने कौशल से छोटा-मोटा काम शुरू कर स्वयं के अलावा अन्य युवा और जरूरतमंद लोगों को रोज़गार की व्यवस्था कर सकते है, जो देश और प्रदेश की आर्थिकी को सीधा फायदा पहुंचाती है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने युवाओं के लिए स्टार्टअप और स्किल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की है तो मेक इन इंडिया उन विदेशी निवेशकों के लिए है जो भारत में अपना सामान तैयार करे सकते है, जिससे देश के युवाओं को रोज़गार मिल सके। युवा इसमें अपना एक काम कर सकते है वह ये कि वे अपना ध्यान अधिक से अधिक कुटीर उद्योगों पर लगाएं और वहां यह काम करें जहाँ जरुरत है। ऐसा कर हम गांव की स्थिति में भी सुधार ला सकते है। पिछले  कई वर्षों में यह देखने में आया है कि तेजी से समाप्त हुए हमारे हर प्रकार के कुटीर उद्योगों के बंद और खत्म के कारण गांव शहरों पर निर्भर हो गए है, जिसके कारण  बेरोज़गारी की समस्या में तेजी से उछाल आया है। 

यह बात यहीं खत्म नहीं होती है। अगर युवा कुटीर उद्योग लगाते है ये स्वयं का व्यवसाय शुरू करते है तो इसके लिए बैंकों से आवश्यक ऋण की भी व्यवस्था सरकार ने की है। जिससे युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। इससे पहले खासकर हरियाणा में युवाओं की स्किल को विकसित करने के लिए अब सरकार अपने कॉलेज - विश्विद्यालयों में, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में नए से नए व्यवसायिक पाठ्यक्रम ला रही है जिनका युवाओं को अधिक से अधिक फायदा उठाना चाहिए। यहां मैं यह स्पष्ट कर दूं कि नौकरी  को लेकर युवाओं को बिल्कुल भी हतोत्साहित करने की मैं नहीं कह रहा हूँ। यह उनकी रुचि, इच्छाशक्ति और योग्यता पर निर्भर करता है। सरकार ने इसके लिए प्राइवेट सेक्टरों को युवाओं के कौशल को देखते हुए उन्हें उनके हिसाब से नौकरी देने की भी कह रखी है साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्राइवेट सेक्टर अपने यहां नौकरियों का अधिक से अधिक सृजन करें जिससे देश और प्रदेश के युवाओं को लाभ मिल सके। युवा अगर सरकारी नौकरी में ही जाना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए कोई भी शॉर्टकट रास्ता अपनाने से बचना होगा। हालाँकि, केंद्र सरकार हो या हरियाणा सरकार दोनों ही जगह अब सरकारी नौकरी प्राप्त करने का कोई भी शॉर्टकट रास्ता खत्म कर दिया गया है। बहुत से लोगों को शायद यह पता नहीं है कि जब हम किसी भी काम में शॉर्टकट रास्ता अपनाते है तो उसका सीधा प्रभाव हमारी कार्य संस्कृति और काम के नतीजों पर पड़ता है। पिछले 70 साल से हम यह देखते आ रहे हैं, लेकिन अब चीज़ें बदली है, लोगों का मानस भी बदला है। लोग रोज़गार प्राप्त करने को अधिक महत्व देने लगे है। अगर हम ऐसा निरन्तर करेंगे तो मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्टेण्डअप इंडिया कार्यक्रमों को मज़बूत ही करेंगे। इससे युवाओं के बीच इनकी उपयोगिता और बढ़ेगी। इससे सबका विकास होगा। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भी यही कहना है।

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