Saturday 1 October 2016

फैंसला आपको करना है कि आप गाँधी जी के किस विचार के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं ?




आज राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 147 वीं जयंती है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को हम बापू के नाम से भी जानते है और संबोधित भी करते हैं। गाँधी जी ने देश को आज़ाद कराने से लेकर आगे बढ़ने का विचार हमें दिया था। जो आज भी प्रासंगिक है। गाँधी जी का इस बारे में कोई एक विचार नहीं है। उन्होंने कई ऐसे विचार दिए जिनमें से किसी एक पर भी अमल कर हम काम करना शुरू कर दें तो वह हमें देश सेवा के लिए आगे ले जाता है। गाँधी जी ने हमें अहिंसा, शराब और किसी भी नशाखोरी से दूर रहना, स्वच्छता रखना जीवन में और अपने आसपास, स्वदेशी अपनाना, खादी पहनना, इत्यादि .... इत्यादि। इन सभी विचारों में से कोई एक विचार जिसके सबसे नज़दीक आप अपने आप को रखते है या पाते है बस उसी पर काम करना शुरू कर दें। यही देश की और समाज की सबसे बड़ी सेवा होगी। सही मायने में तो आज गाँधी जी के हर विचार पर तेजी से काम करने की जरुरत है। ऐसा हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कहते हैं। वे यह बात यूँही नहीं कह रहे। वे गाँधी जी के हर विचार को देश के लिए एक विज़न के रूप में देखते हैं। आज जब पर्यटन हमारी बढ़ती इकॉनमी का प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरा है तो हमें इसके लिए स्वच्छता के काम को हाथ में लेना होगा। ख़ुशी इस बात की है कि प्रधानमंत्री ने स्वच्छता के प्रति लोगों को जिस प्रकार जोड़ा है और नज़रिया बदलने में सफल हो रहे है उससे स्वच्छता के काम ने जनआंदोलन का रूप ले लिए है। यह सही है कि स्वच्छता का काम किसी समयसीमा में नहीं बांधा जा सकता। यह ताउम्र और लगातार काम की मांग करता है। देश के पढ़े-लिखे नौजवान जितना इस क्षेत्र में काम करेंगे उतना ही यह रोज़गार और स्वरोज़गार का रूप भी लेगा। स्वच्छता या सफाई के काम को किसी एक जाति या समुदाय का काम मानकर नहीं छोड़ सकते। अब इस सोच और नज़रिए का समय और जमाना गया। देश आगे बढ़ गया है। इन दिनों जिस तरह की एक सोच बनी है कि शौचालय का निर्माण करने से हम स्वच्छता और सफाई के उद्देश्य की पूर्ती कर लेंगे। यह गलत है। स्वच्छता से जुड़े जितने भी विषय और क्षेत्र है उन सब पर हमें एक विज़न मानकर काम करना होगा। जिसमें हर हाल में कूड़े का निस्तारण करना सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। हमारे देश में जितने भी छोटे-बड़े प्राकृतिक, ऐतिहासिक और पौराण्विक महत्व के पर्यटन स्थल है उन सब का भ्रमण कर वहां हम साफ़-सफाई की स्थिति का जायजा लेकर इस  काम को आगे बढ़ा सकते है। ऐसा कर हम हमारे शहरों को भी साफ़ करने का काम करेंगे। इसमें हम एक काम और अच्छा कर सकते है वह यह कि सफाई के काम को हम पढ़ाई के दौरान पार्टटाइम के रूप में भी कर सकते है। अमेरिका में कॉलेज और विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं अपनी पढाई और जीवनयापन का खर्चा खुद उठाते हैं। क्या हमारे देश के नौजवान ऐसा नहीं कर सकते ? यकीन मानिए जब हम इस सोच के साथ इस काम को करना शुरू करेंगे तो न सिर्फ हम अपनी बेरोज़गारी को भी खत्म करेंगे बल्कि देश के आर्थिक कोष में भी हम अपना योगदान देंगे, जिसकी आज सबसे अधिक जरुरत है। इससे भी आगे बढ़कर यह काम अगर हम कर गए तो यह बदलते और नए भारत का राष्ट्रीय चरित्र भी बन जाएगा, जो जनसामान्य के लिए प्रेरणा का काम करेगा। 

इसी प्रकार हम अपने जीवन में किसी भी प्रकार की हिंसा को स्थान न देते हुए गाँधी जी के अहिंसा के विचार को फैला सकते है, बढ़ा सकते है। जनसामान्य को बता सकते है कि गाँधी जी ने बिना हिंसा के देश के लोगों को आज़ादी के लिए एकत्रित कर अंग्रेजों को देश से खदेड़ने में जो सफलता प्राप्त की वैसा कर हम हमारे देश को समाज को हिंसा मुक्त नहीं कर सकते ? बिल्कुल हम ऐसा कर सकते है क्योंकि हिंसा हमारा स्वभाव नहीं है। सर्वधर्म सम्भाव के मार्ग पर चलने वाले लोग है हम। ऐसे ही हम शराब बंदी के क्षेत्र में काम कर सकते हैं। वहीँ स्वरोज़गार अपनाकर हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। फैंसला आपको करना है कि आप अब गाँधी जी के किस विचार के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं ?


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