Tuesday 24 January 2017

आज राष्ट्रीय मतदाता दिवस है. आपके मतदाता होने की शुभकामना.

आज राष्ट्रीय मतदाता दिवस है. लोकतंत्र में अपनी भूमिका तय करने का दिन है. यह तय है कि जैसा मतदाता होगा, वैसे ही हमारे जनप्रतिनिधि होंगे. नेता होंगे. सरकारें होंगी. चुनाव के दिन हमारा वोट करना हमारे फैंसले को भी बताता है कि हम सरकार बनाने में, देश बनाने में हम किस तरह का फैंसला लेते हैं और कितनी गंभीरता से. भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक बार कहा था कि देश के मतदाता को अभी और गंभीर होने की जरुरत है. उसे मतदाता होने की जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए. यह जिम्मेदारी और अहसास उसके जागरूक होने से आती है. चुनाव चाहे कोई सा भी हो. लोकसभा का हो, विधानसभा का हो, जिला परिषद्, पंचायत या फिर स्थानीय निकाय का. हमें हमारे मतदाता होने की गंभीरता और महत्व को नहीं भूलना चाहिए. हम अपने मत से जिन भी लोगों को चुनते हैं उन्हें यह विचार रत्ती भर भी न होने दें कि मतदाता बिकाऊ है, उसे ख़रीदा जा सकता है. जो लोग देश के मतदाता के बारे में इस तरह की सोच और धारणा रखते हैं उनकी सच्चाई लोगों के बीच लेकर आएं. उन्हें उनकी गलती का अहसास कराएं. मतदाता को हर हाल में प्रलोभन की राजनीति से बचना होगा और उन्हें हराना होगा, दरकिनार करना होगा जो प्रलोभन की राजनीति कर सत्ता में आना चाहते हैं. मतदाता दिवस हमें कई मायनों में जागरूक करता है. हमारे मतदाता होने से जनप्रतिनिधि के माध्यम से सरकार में हमारी सीधी भागीदारी बनती है. हमारे जनप्रतिनिधियों के दिमाग में यह बात होनी चाहिए कि वे जिम्मेदार मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं न कि बिकाऊ मतदाता का. अपने आस-पास हम अगर ऐसे मतदाताओं को देखते हैं जो चुनाव के दिनों में चुनाव लड़ रहे लोगों की प्रलोभन की राजनीति में आ जाते हैं. उन्हें इससे होने वाले नुकसान से अवगत कराएं. यह एक प्रकार से समाज में लोगों में नई चेतना और जागरूकता लाने का भी काम होता है. हम जितने जागरूक और जिम्मेदार मतदाता बनेंगे उतनी ही हमारे जनप्रतिनिधि गलत काम करने से बचेंगे, डरेंगे. यह स्थिति हमेशा बनी रहनी चाहिए, इसकी जिम्मेदारी मतदाताओं के ऊपर होती है. वाकई मतदाताओं के लिए यह बड़ी चिंता और शर्म की बात हो जाती है जब किसी भी नेता की रैली या कार्यक्रमों में आने वाली भीड़ को नेता पैसे की भीड़ से परिभाषित करते हैं, कहते हैं. यह सीधा-सीधा लोकतंत्र का अपमान है. लोकतंत्र में मतदाता का अपमान है. आप चाहेंगे कि आपका अपमान आपके जनप्रतिनिधि ही करें ? आगामी महीने में देश के पांच राज्यों (उत्तरप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर) में चुनाव होने जा रहे हैं. जिनमें मतदाताओं के फैंसले की परीक्षा होनी है कि वे किस तरह के प्रतिनिधि चुनकर सदन में भेजते हैं और सरकार बनाते हैं. आज जब देश बदल रहा है और आगे बढ़ रहा है तो मतदाता के ऊपर भी महत्ती जिम्मेदारी आ गई है कि वह देश के आगे बढ़ने में अपनी भूमिका का सही निर्वहन करें. आपको मतदाता दिवस और मतदाता होने की पुन: शुभकामनाएँ.

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